Sunday 10 March 2019

बोझ

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शायद बहुत खाली था उसका दिल ,
इसीलिए मुझे देखने से कभी दिल भरता ही नही था
हो सर्द राते या गर्म दोपहरें मगर वो सजदे की तरह बस मुझे देखा करता था।
अजीब ख्याल था के वो मीलो दूर था मगर जागता भी मेरे संग ओर सोता भी मेरे ख्यालो मैं था
चाहे पहरों उसके बिता दु मगर वो दूर जाने की घड़ी मैं आंखे भर लेता था
मैं मांगू एक फूल तो वो फूलो के बगीचे ले आता था
एक पल में सो खवाबो के महल मेरे लिए सजाता था
वो कुछ भी कर ले मेरे लिए मगर
उसका दिल कभी भरता ही नही था।
पर अचानक उसका दिल भर गया
इतना भरा जे उसने मुझे एक नजर भी न देखा
वो जो फलक से तारे भी तोड़ लाता मेरे लिए
आज उसे मैं अचानक बोझ से लगने लगी


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