Wednesday 1 January 2020

ऐतबार और प्यार aitbaar aur pyaar

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किसी ने पूछा मुझसे के ये प्यार और ऐतबार क्या एक ही बात है
मैंने उसे खुद का तजुर्बा सुनाया
और समझाया
के देखो गर वो आज भी वापिस आ जाये
तो मैं फिर से हँस कर उसे कबूल कर लुंगी
गर वो फिर से कहे के उसे प्यार है मुझसे
मैं फिर से उसका यकीन कर लूंगी
फिर वो कह दे के मजबूरी है उसे जाना होगा
मैं फिर से ऐतबार कर लुंगी
जबकि मैं जानती हूं, उसे प्यार नही मुझसे,
मैं जानती हूं के ये मजबूरिया उसके बहाने है
मैं जानती हूं के वो काबिल ऐ ऐतबार नही है
मगर मेरा ऐतबार और प्यार अब भी वही है


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