Monday, 12 February 2018
प्यार की नोटंकी
आज है तो कल नहीं
प्यार मोहब्बत भी अजीब नोटंकी है
रिश्तों पे मीटर लगा है के
जैसे जज्बात नहीं कोई पानी की टंकी है
दोस्तों अब मोहब्बत का हाल तो मुन्सिपलिटी के पानी से भी बुरा है
वो तो फिर भी फिक्स्ड टाइम पे आने जाने की गरंटी है
अब तो लगता है के मोहब्बत किसी नेता की भाषण से उठकर आई होगी
तभी तो वादें इतने बड़े बड़े लेकिन पूरा होने की नो वारन्टी है
फैशन का दौर है तो बदलेगा रोज रोज और नया लगेगा रोज रोज
शायद तभी तो मोहब्बत भी टिकाऊ कम पर है बिलकुल यंकी शैंकी है
Ruchi Sehgal
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