Thursday 2 April 2020

बस मुस्करा देना

No comments :

काश कभी आंखे खोलू
तो तुम सामने हो मेरे
तुम मुझे देखकर बस हमेशा की तरह मुस्करा देना
मैं भी पहले जैसे शरमा जाउंगी
चेहरे की झुर्रियां अचानक गायब सी हो जाएगी
गालो पे फिर वो पुरानी लाली छा जाएगी
खिड़की के पर्दो से छनती धूप चेहरे पे नूर बनकर गई जाएगी
हवा भी मदमस्त गजगामिनी की तरह जुल्फों बिखरा जाएगी

तुम मुझे देखकर बस हमेशा की तरह मुस्करा देना

तुम सामने तो आना एक बार
देखना समय भी पलटेगा इस बार
बीस बरस पहले वाला सावन फिर लौट आएगा
कॉफी की जगह कड़क चाय का जादू चल जाएगा
होटल रेस्तरां में पिज़्ज़ा बर्गर नही खाने मुझे
बस गली के मोड़ पे वो गोलगप्पे चखा देना
तुम मुझे देखकर बस हमेशा की तरह मुस्करा देना


टेडी बीयर नही चाहिए आज भी मुझे
सेल वाले बाजार से कुछ नया सूट दिलवा देना
हो सके तो मैचिंग चुड़िया भी पहना देना
वैसे आजकल फैशन नही चमक सितारों का
मगर मुझे सितारों वाली चुनरी ही दिलवा देना
बस तुम एक बार आ जाना
तुम्हारी चॉइस में कुछ नखरे दिखाऊ तो पहले की तरह समझा देना
कहना के और ले दूंगा, इसको भी बनवा लेना

तुम मुझे देखकर बस हमेशा की तरह मुस्करा देना

दिन दिन करके बिताये है बरसो मैंने
तुम भी दिनों में सदियों के चाँव मिटा देना
मुरझाई सी आंखों में सुनहरे ख्वाब सजा देना
बालो की सफेदी मैं कोई गुलाब सजा देना
तुम मुझे देखकर बस हमेशा की तरह मुस्करा देना


कोरोना पर कविता carona par kavita

No comments :

ऐसे दिन फिर कब आएंगे
के सब दुश्मनी जात पात भूल,
मानव का धर्म निभाएंगे
सोना चांदी की फिक्र नही
रोटी चावल मैं भी शुक्र मनाएंगे
फैशन की अब कोई होड़ नही
वास्तविक खूबसूरती पाएंगे
मंदिर के दरवाजे बंद हुए
दिल में मंदिर बनाएंगे
चाऊमीन, समोसे और भेलपुरी
आज से घर ही बनाएंगे
पड़ोसी कही भूखा तो नही
उसका भी हाल पुछके आएंगे
कॅरोना तुम तो जल्दी चले जाना
मगर अपनी अच्छाइयां यही छोड़ जाना
जो काम गीता कुरान बाइबिल न कर पाए
उसके लिए कॅरोना का आभार जताएंगे