Tuesday 24 September 2019

एक पुराना वादा

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जो मैं आई तुम्हारे द्वार तो अंदर बुला लोगे ना
बीती बाते गुजरा जमाना हुई ओर फिर भी कोई पुराना वादा निभा लोगे ना।
तुमसे बिछुड़े हुए मानो सादिया बीत गई जाने कैसे लगते होंगे तुम
गर धुंधला गई मेरी आँखें , तुम तो मुझे पहचान लोगे ना

वो दिन वो घर वो दुनिया वो ख्वाबो भारी बाते, जो हकीकत न बन पाई कभी
गर फिर से रूठ जौ तुमसे तो फिर से तुम उसी अदा से मना लोगे ना

मैंने माफ किया तुम्हारी बेवफाई को, नजर अंदाज किया हर जुदाई को
तुम भी मीठी सब खताये ऐसे ही भूला दोगे ना


ये पैरो के छाले , आंखों के आंसू कुछ तो कहानी कहते है
बहुत दूर तक चलती रही अकेली के तुम कभी तो आवाज  दोगे ना

धूप बहुत तेज रही बरसो और मै भी ये सोच सोच हलकान होती रही
के अब जुल्फों की नरम छाव नही तो तुम ठीक तो होंगे ना

दौलत शोहरत की चकचोंधती सी दुनिया कब मांगी थी मैंने
ख्वाइश तो बस इतनी सी ही थी के दिल में तो जगह दोगे ना

यू अजनबी नजरो से मत देखो के हर वादा अब तक निभाती आई हूं मै
तुम मत निभाना कोई वादा मगर बस एक बार उन वादों को याद तो कर लोगे न


Tuesday 3 September 2019

पैसा है कैसा

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पैसा है कैसा
एक कागज का टुकड़ा
और तिकड़ी का नाच नचाया है
हुआ ये किसी का नही मगर कहता भी कोई नही
के ये पराया है

जानवर और इंसान होते एक समान
गर न होता पैसो का घमासान
क्योंकि रोटी ही मांगे जानवर
रोटी ही मांगे इंसान

आया था ये बड़े दावे लेकर
के करूँगा सब जरूरते पूरी तेरी
पर कमाते कमाते ध्यान ही न रहा
के कब बन गया ये लत तेरी

पैसे से ही तू राजा है
पैसा है तो खाना ताज़ा है
पैसा है तो शान शौकत तेरी
वार्ना धत्त, काहे का तू राजा है

हम भी खूब सुना करते थे बड़े बुजुर्गों से
के पैसा हाथ की मैल हुआ करता है
मगर सच ये के ये दिलो मैं मैल  भरा करता
ये ही तो आज का तकाजा है