Monday 4 November 2019

लाख मन्नते

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तुमसे दूर हो रही हु
देखो हालात से मजबूर हो रही हु

लाख मन्नते मांगी के तुम मिलोगे तो इस दर जाएंगे
वह दिए जलाएंगे वह धागा बांधकर आएंगे
हम मिल तो गए पर इस तरह के जैसे मिले ही नही थे


कान्हा और राधा दूर हुए kanha aur radha dur huye

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लो फिर से कान्हा और राधा दूर हुए
दुनियादारी के असूलों से माजूर हुए

अब तड़पेंगे ये अकेले अकेले
अब न भायेंगे सावन के झूले
उनकी यादों के होंगे बस मेले
सोचेंगे दिन रात यही के भूले तो कैसे भूले

इन बेगुनाहो से  क्या कसूर हुए
दिल से दूर नही पर नजरो से क्यू दूर हुए

जलेबी अब शायद मीठी न लगे
चाट पकोड़ी भी कुछ बासी बासी लगे
रंगों में भी अब  जी ना लगे
बिछुड़ गए है पर प्रीत की लो न बुझे

वो गली का पुराना ठिकाना अब भी मशहूर हुआ है
खाली टेबल कुर्सी पे अभी ब तेरा वजूद बैठा हुआ है

तुम बिन होली आई दीवाली आई
रंगों से, पटाखों से दिल जले है हाय
सब कुछ जला तेरी याद कुछ ऐसे जलाये
उम्मीद कोई बची हो तो कोई हमको भी बताये

दिल की सुनसान हवेली से एक आवाज दूर तक जाए
के आज रात उनके ख्वाबो ख्यालो मेरा रूप उभर जाए


शायद फिर मिलेंगे हम कभी shyad phir milenge hum kabhi

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मैं जानती हूं के वो मुझे माफ़ करेंगे नही
वो भी जानते है के मैं भी उनके सितम भूलूंगी नही
पर इसका मतलब ये कैसे हुआ के उनको प्यार भी करूँगी नही

उनके शिकवे खत्म शायद होंगे नही
मेरे दिल के मलाल भी अब कम होंगे नही
पर ये किसने कहा के हुम् एक दूजे के दिल में रहेंगे नही

मैं जानती हूं के शायद अब कभी बात न करे मुझसे
मैं भी खुद से पहल कतई करूँगी नही
पर लब खामोश रहे तो क्या दिल भी आवाज सुनेंगे नही

उनको जिद्द है तो बने रहे जिद्द पर अपनी
मैं तो नीचे झुकने से रही
कोई पूछे सामने ना आये तो क्या ख्यालात मैं भी आएंगे नही

वो कहेंगे के जाओ तुमसे प्यार नही अब हमें
मैं भी कह दूंगी जाओ हम भी तुम बिन मरेंगे नही
कोई ये भी बताए के एक दूजे बिना क्या लोग हमे जिंदा कहेंगे नही

तमाम उम्र का वादा और चंद कदमो पे लड़खड़ा गए
जितना संभाला मगर हालात बेकाबू से होते गए
गिले शिकवे है हावी तो क्या ये जज्बात अरमान मरेंगे नही

वो दूर हो गए हमसे , हुम् भी मजबूर हो गए
न उन्होंने देखा मुड़के न हमने देखा तो क्या हुआ
एक डगमगाते बुझते दिए कि लो कहती है के शायद फिर मिलेंगे हम कभी