Friday 31 May 2019

कोई हम सा koi hum saa

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चेहरे मिलेंगे लाखो, हुस्न भी बेमिसाल मिलेगा, मगर ये भूल जाओ के कोई हम सा तुम्हे दुबारा मिलेगा


कोई और है koi aur hai

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वो जिनको देखकर मेरे चेहरे पे मुस्कान आती है

कैसा मजाक है ये के

उनके चेहरे की मुस्कान की वजह मैं नही कोई और है


जब वो याद आता है jab vo yaad aata hai

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जाओ सुबह सुबह ये प्यार वफ़ा इकरार का जिक्र न छेड़ा करो,
कमबख्त मूड खराब हो जाता जब वो कमबख्त याद आता है


तु ही रब है मेरा tu hi rabb hai mera

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तुम जाने कैसे खुद को पीर मसीहा क्यों समझ बैठे हो,
हमने यू ही दिल्लगी मैं कहा था के तु ही रब है मेरा


दिल दिमाग पे न चढ़ जाए dil dimag pe na chad jaaye

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आज सुबह चाय ही नही पी, क्योंकि चाय के प्याले मैं उनका चेहरा जो नजर आया,
मैं ख़ौफ़ज़दा हो गई के कही ये चाय पी गई तो फिर से मेरे दिल दिमाग पे न चढ़ जाए


उनका sms आया

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आज सुबह फिर उनका sms आया के तुम्हे बहुत याद करता हु, मैं तुरंत समझ गई के फिर झूठ बोल रहा वो, क्योंकि  हिचकि आये हुए तो कई साल गुजर गए


Thursday 30 May 2019

वो तस्वीर देखकर बोल

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वो तस्वीर देखकर बोले के अब भी वैसी ही खूबसूरत लगती हु
मैंने भी कह दिया के गर खूबसूरत होती तो तुम किसी और के न हो पाते


कभी पराई तो कभी अपनी

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कभी पराई तो कभी अपनी, कभी सोतन तो कभी सजनी
किसी को जहनुम देकर वो क्या जन्नत सजा लेगा अपनी


Tuesday 28 May 2019

हया का इतर hayaa ka itrr

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इक गुलाबी आँचल सा उड़ता है
इस धुंधले धुंधले मौसम में
वफ़ा, हया का इतर सा बरसता है
उनके गिरते सम्भलते आँचल से


जिंदगी की कहानी मेरे मेहरबान jindagi ki kahani mere mehrbaan

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जिंदगी की कहानी
मेरे मेहरबान
धड़कनो की रवानी वो
मेरे मेहरबान

वो आईने में देखे खुद को
और शर्मा के मुह ले छुपा
जैसे बादलो में कोई चाँद हो छुपा दबा
आये वो नजर मुझे
दे दू जिंदगानी उन्हें
मेरे मेहरबान

सावन में खिड़कियों से
खुद दोनों हाथ फैला
करते है देखो कैसे वो
हर मौसम का इस्तेकबाल
उसी झरोखे के नीचे
मैं भी कबसे खड़ा
मेरे मेहरबान


किरदार पे सवाल

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गर समझती उनके दिल को मैं तो कब का जान जाती।
वो कब वफादार से बेवफ़ा बन गया।
इससे पहले के मैं कुछ कर पाती कह पाती
वो खुद मेरे किरदार पे सवाल सा बन गया


दवाओं में भी जहर का चलन, dawao mei bhi jahar ka chalan

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सर्द हवाओ में भी ये कैसी जलन है
आजकल दवाओं में भी जहर का चलन है
बाते करते है हया, आबरू और एहतराम की
वो जो खुद सर से पाव तक नंगे बदन है


इतर ऐ ऊद itar oo udd

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वो कुछ इस तरह से शामिल है मेरे वजूद में
उसके जिस्म की खुशबु  आये मुझे इतर ऐ ऊद में


भरम bharam

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वो मिल गए मुझे अचानक एक दिन राह में
मैंने सोचा के रोक लेती हु उनको
पूछती हु के क्या सबाब मिला उनको
के वादों को तोड़कर गए थे
राह में अकेला छोड़कर गए थे
मगर फिर सोचा के रोक के क्या करुँगी जब राहे ही जुदा है

मैंने सोचा के रोक लेती हु उनको
कुछ शिकवे शिकायते करुँगी
उनसुल्झे सवालो के जवाब मांगूगी
के खतायें क्या थी मेरी
वफाये क्यों रास न आई मेरी
मगर फिर सोचा के रोक के क्या करुँगी
जब मोहब्बत का भरम वो तोड़ ही गए


शक्कर की जगह नमक shakkar ki jagah namak

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वो मेरे ख्यालो में कुछ इस बेख्याली से गुम थे
के शक्कर की जगह नमक डालते गए मिठाई में


सिलाई मशीन silai mashine

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सोचती हु के इक सिलाई मशीन बनाऊ
जो सिल दे टूटते रिश्तों को
जो उधेड़ बुन से बाहर निकाले मन को
सोचती हु के एक सिलाई मशीन बनाऊ
सोचती हु के इक सिलाई मशीन बनाऊ
जो धागा खींच के रखे बेलगाम जुबानों का
जो आग लगा दे वहम गुमाँ पैदा करने वाले के दिलो में
सोचती हु के इक सिलाई मशीन बनाऊ
सोचती हु के इक सिलाई मशीन बनाऊ
जो पतले नाजुक धागों को जोड़ के लिबास बना सके
जो कच्चे रिश्तों को मजबूती से जुड़ा सके
सोचती हु के सिलाई मशीन बनाऊ


कमाल करते है kamaal karte hai

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वो शतरंज की चाल चलते है
मगर क्या कमाल करते है
नजर होती वहशत और दौलत पर
और बाते खुदा की तमाम करते है


प्यार न करती pyar na karti

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मै वफाओ के दावे नहीं करती
खुद की पाकीजगी का दम नहीं भरती
बस इतना कहती हु के खुद से हु डरती
ज़माने से डरती तो तुझसे प्यार न करती


बेचारा bechara

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आवारगी , बेचैनियां तूने ही दी है मेरे यारा
न प्यार जताता ,न छोड़ के जाता , दिल न होता बेचारा


वक्त का होश waqt ka hosh

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साँझ का दिया, कब जला, कब बुझा
वक्त के मश्रुफियात में, वक्त का ही होश न रहा


याद है या नही yaad hai ya nahi

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मोहब्बते के वो दोर उसको याद है या नहीं,
किये थे वादे इरादे , उसको याद है या नहीं

वो महफ़िल में बार बार मुड़ के मुझको देखता है
और यकीन भी कराता है सबको के नहीं जान पहचान कोई
कही पुरानी किसी महफ़िल के मेहमान यहाँ मौजूद तो नही

मेरे बदन की खुशबु जान लेता था हवाओ में कभी
आज फिजायें शायद कुछ अलग ही थी
या मेरे दामन में अब वो कशिश बाकी ही नहीं


याद नहीं करुँगी yaad nahi karungi

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है मेरी जिद्द के कुछ भी हो जाये
मगर उनको याद नहीं करुँगी


बस मजबूर है majboor hai

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वो बेबसी की बाते करते रहे
सो बयानात मुझे बतलाते रहे
हजार दावे भरते रहे वो के वो बेवफा नहीं बस मजबूर है


वो तौबा करे vo touba kare

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मैं वफ़ा करू तो वो जफ़ा करे
मैं जफ़ा करू तो वो तौबा करे


दिल क्यों पत्थर dil kyo pathar

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सुना था के बार बार घिसने से निशाँ पड़ जाते है पत्थर पर
मगर दिल क्यों पत्थर बन जाते है बार बार टूटने पर


हम ही क्यो hum hi kyoo

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मोहब्बत के इम्तिहान हम ही क्यों दे
दावा तो उनका भी था के मर जायेंगे मेरे बिना
आखिर जान हम ही क्यों दे।


अजीब रास्ते है ajeeb raste hai

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अजीब रास्ते है
अजीब गालिया है
कभी अपनी तो कभी
बेगानी बगिया है


धड़कने dhadkane

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कुछ तो झूठ हमने भी बोला के वो धड़कने है मेरे दिल की
नहीं तो उनका किसी और के होते ही दिल धड़कना बंद न कर देता


पल पल मर रहे है pal pal mar rahe hai

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मेरी ताकत ही मेरी कमजोरी निकली
काश के दिल भी थोड़ा और  कमजोर होता
के उनके बेवफा होते ही धड़कना बंद कर देता
अब तो जी रहे मगर पल पल मर रहे है


इन्तजार intzar

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वो जाते तो इक वादा कर के जाते
के अगले जन्म तुम्हे जरूर मिलूंगा
अब मालूम ही नहीं हमें के उनका और इन्तजार करे या मर जाए


दो परिंदे do parinde

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दो परिंदे बेपरवाह
चलती थी साँसे
धड़कती थी धड़कने
हर पल हाथ थामे


सफ़र लंबा होता जाए safar lamba hota jaaye

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टेड़ी मेड़ी राहे, कभी राह में भवर बन जाये
चलते चलते जीवन क्या क्या रूप दिखाए
कड़कती धुप सर से हटी ही नहीं है
सफ़र और लंबा ही लंबा होता जाए

इसके खेल है अजब अनोखे
यहाँ प्यार में भी है धोखे
फिर भी सोचे दिल प्यार बिना जीवन है क्या
यहाँ जन्मों के हो वादे
जो पल में टूट जाते
मगर जीवन  का साथी कोई तो होगा
अपने हाथो से कैसे कोई खुद मरहम बन जाय
सफ़र और लंबा ही लंबा हो जाए

मैंने प्रीत की डोरी बांधी
खूब खींच खींच के जाँची
पर फिर भी कोई सिरा खुल सा जाये
कभी प्यार से रास्ता रोका
कभी वास्ता दिया खुदा का
जानेवाला मगर कैसे लौट आये
नींद बिना सपनो को कैसे कोई सजाये
सफ़र और लंबा ही लंबा हो जाए


मुलायम ख्वाबो से , mulayam khawabo se

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नरम हाथो से, मुलायम ख्वाबो से
एक खूबसूरत आशियां सजाया था
कोई फूल तो कोई तारे फलक से तोड़के लाया था
तिनका तिनका जोड़ा और ये घोसला सजाया था
मगर एक हवा के झोके में यु उड़ा ये के
मानो रेत का महल किसी बच्चे ने बनाया था
न ख्वाब ना चाँद न ही कोई आस को इसने अब बचाया था
,  बस धूल का कण ही हाथो में आया  था


खामखा Khamkhaa

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प्यादे, घोड़े, वजीर और बादशाहों की दुनिया में,
हम खामखा इक बेहतर इंसान बनने निकले थे।

जानवरो की दुनिया Jaanwaro ki duniya

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बचपन में माँ ने चार पैरो से नहीं दो पैरो से इंसानो की तरह चलना सिखाया
मगर बड़े होकर जाना तो पाया के दुनिया तो जानवरो की हो गई

बचपन में माँ ने चार पैरो से नहीं दो पैरो से इंसानो की तरह चलना सिखाया
मगर बड़े होकर जाना तो पाया के दुनिया तो कब की जानवरो की हो गई


मैं तुझमें घिरकर, mai tujhmei ghirkar

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आते थे उनसे मिलकर
बरसते थी बुँदे रात भर
लगता था के जैसे आई हो
पर्वतो से घटाए मिलकर

तेरे सिवा न थी मंजिले
तेरे सिवा न थे रास्ते
मानो हर पल रही
मैं तुझमें घिरकर