Tuesday 24 September 2019

एक पुराना वादा

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जो मैं आई तुम्हारे द्वार तो अंदर बुला लोगे ना
बीती बाते गुजरा जमाना हुई ओर फिर भी कोई पुराना वादा निभा लोगे ना।
तुमसे बिछुड़े हुए मानो सादिया बीत गई जाने कैसे लगते होंगे तुम
गर धुंधला गई मेरी आँखें , तुम तो मुझे पहचान लोगे ना

वो दिन वो घर वो दुनिया वो ख्वाबो भारी बाते, जो हकीकत न बन पाई कभी
गर फिर से रूठ जौ तुमसे तो फिर से तुम उसी अदा से मना लोगे ना

मैंने माफ किया तुम्हारी बेवफाई को, नजर अंदाज किया हर जुदाई को
तुम भी मीठी सब खताये ऐसे ही भूला दोगे ना


ये पैरो के छाले , आंखों के आंसू कुछ तो कहानी कहते है
बहुत दूर तक चलती रही अकेली के तुम कभी तो आवाज  दोगे ना

धूप बहुत तेज रही बरसो और मै भी ये सोच सोच हलकान होती रही
के अब जुल्फों की नरम छाव नही तो तुम ठीक तो होंगे ना

दौलत शोहरत की चकचोंधती सी दुनिया कब मांगी थी मैंने
ख्वाइश तो बस इतनी सी ही थी के दिल में तो जगह दोगे ना

यू अजनबी नजरो से मत देखो के हर वादा अब तक निभाती आई हूं मै
तुम मत निभाना कोई वादा मगर बस एक बार उन वादों को याद तो कर लोगे न


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