अरे रुको, क्या बेधड़क चली आती हो कभी ख्वाबो मैं , कभी यादों में तो कभी बातो मैं ख्वाब छुटे तो मलाल, याद छुटे तो फसाद, भला ये कोई तरीका है कही जाने का
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