Saturday 26 May 2018

एक वादे या हज़ार वादे

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किसी ने पूछा मुझसे
के क्या फर्क पड़ता है
एक वादा टूटा या हजार वादे टूटे
इंसान वफ़ा मोहब्बत से गया
तो बात खत्म

मे हैरानी से मुड़कर देखती हु
उस शक्श का चेहरा
और जवाब मे कहती  हु
के फर्क क्यों नहीं पड़ता
फ़र्क तो पड़ता है

माना एक वादा किया था उसने प्यार का
वो टूट भी गया तो कोई फरक नहीं मुझे
लेकिन ये कैसे भूल जाऊ हर पल
साथ देने का वादा किया था उसने

एक वफ़ा का वादा भी था उसका
जो अब बेवफा बना बैठा है

एक वादा किया था उसने के वो हर जख्म
पे मरहम की तरह रहेगा मेरे साथ
तो फिर मेरे सीने मै एक नया
जख्म देने की हिम्मत कहा से आई उसमे

वादा किया था के मेरी एक ख़ुशी के
लिए चाँद तारे भी तोड़ सकता है
तो इन आँखों मे खुद आंसू
की वजह बनकर क्यों बहता है वो

वादा था के मेरे पुकारने से पहले
ही वो आ जाया करेगा
यु कैसे हुआ हुआ के मै
दर्द मई भी पुकारती रही और उसे मेरी आवाज सुनाई तक न दी

वादा हुआ था के अब साथ साथ
आगे बढ़ेंगे हम
फिर अचानक रह मे उसके
रस्ते जुदा कैसे हो गए

एक वादा था इन्तजार का,
इक वादा था ऐतबार का,
एक वादा था हर रात का,
एक वादा था बरसात का, ए
क वादा था पाजेब का,
एक वादा था चूड़ियों का,
एक वादा था सुर्ख जोड़े का,
एक वादा भगवान को साक्षी मानकर भी हुआ, एक वादा अपनों के सर की कसम खाकर भी किया
और भी जाने कितने वादे थे खेर

प्यार वफ़ा तो भूल भी जाऊ
लेकिन बाकी वादों को कैसे भुलु
मेरा दिल साहेब दुनियादारी के हिसाब से चलता है
धर्मशाला के हिसाब से नहीं
के चलो जो कुछ बी हुआ
सब रब के हवाले करो और भूल जाओ
अभी भी बहुत हिसाब बाकी है उसके
अभी उसका नाम दिल पे बाकी है
अभी किताब खुली है उसके नाम के
अभी बही खातो से उसका नाम हटाया नहीं
अभी कोई नया किरायेदार घर मे आया नहीं

 



Ruchi Sehgal

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