Friday 6 December 2019

दरमियां अधूरी रचना

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तेरे मेरे दरमियां है ये क्या फासला
बस चार कदम ही तो है दरमियां

तेरे झरोखे से झलकती रोशनी की किरणें
मेरे झरोखों से साफ दिखती है
वो हवा भी मेरे छत से चलती है के जिसके छूते ही तू बला सी मचलती है


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