Tuesday 28 May 2019

सफ़र लंबा होता जाए safar lamba hota jaaye

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टेड़ी मेड़ी राहे, कभी राह में भवर बन जाये
चलते चलते जीवन क्या क्या रूप दिखाए
कड़कती धुप सर से हटी ही नहीं है
सफ़र और लंबा ही लंबा होता जाए

इसके खेल है अजब अनोखे
यहाँ प्यार में भी है धोखे
फिर भी सोचे दिल प्यार बिना जीवन है क्या
यहाँ जन्मों के हो वादे
जो पल में टूट जाते
मगर जीवन  का साथी कोई तो होगा
अपने हाथो से कैसे कोई खुद मरहम बन जाय
सफ़र और लंबा ही लंबा हो जाए

मैंने प्रीत की डोरी बांधी
खूब खींच खींच के जाँची
पर फिर भी कोई सिरा खुल सा जाये
कभी प्यार से रास्ता रोका
कभी वास्ता दिया खुदा का
जानेवाला मगर कैसे लौट आये
नींद बिना सपनो को कैसे कोई सजाये
सफ़र और लंबा ही लंबा हो जाए


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