Tuesday 28 May 2019

मुलायम ख्वाबो से , mulayam khawabo se

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नरम हाथो से, मुलायम ख्वाबो से
एक खूबसूरत आशियां सजाया था
कोई फूल तो कोई तारे फलक से तोड़के लाया था
तिनका तिनका जोड़ा और ये घोसला सजाया था
मगर एक हवा के झोके में यु उड़ा ये के
मानो रेत का महल किसी बच्चे ने बनाया था
न ख्वाब ना चाँद न ही कोई आस को इसने अब बचाया था
,  बस धूल का कण ही हाथो में आया  था


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