Sunday, 28 May 2017
था मुस्तेआर हुस्न से उसके जो नूर था
था मुस्तेआर हुस्न से उसके जो नूर था
ख़ुर्शीद में भी उस ही का ज़र्रा ज़हूर था
हंगामा गर्म कुन जो दिले-नासुबूर था
पैदा हर एक नाला-ए-शोरे-नशूर था
पहुँचा जो आप को तो मैं पहुँचा खुदा के तईं
मालूम अब हुआ कि बहोत मैं भी दूर था
आतिश बुलन्द दिल की न थी वर्ना ऐ कलीम
यक शोला बर्क़े-ख़िरमने-सद कोहे-तूर था
हम ख़ाक में मिले तो मिले लेकिन ऐ सिपहर
उस शोख़ को भी राह पे लाना ज़रूर था
मजलिस में रात एक तेरे परतवे बग़ैर
क्या शम्म क्या पतंग हर एक बे-हज़ूर था
मूनिम के पास क़ाक़िमो-सिंजाब था तो क्या
उस रिन्द की भी रात कटी जोकि ऊर था
कल पाँव एक कासा-ऐ-सर पर जो आ गया
यक-सर वो इस्तख़्वान शिकस्तों चूर था
कहने लगा के देख के चल राह बे-ख़बर
मैं भी कभू किसी का सर-ऐ-पुर-ग़ुरूर था
था वो तो रश्क-ए-हूर-ए-बहिश्ती हमीं में 'मीर'
समझे न हम तो फ़हम का अपने क़सूर था
ख़ुर्शीद में भी उस ही का ज़र्रा ज़हूर था
हंगामा गर्म कुन जो दिले-नासुबूर था
पैदा हर एक नाला-ए-शोरे-नशूर था
पहुँचा जो आप को तो मैं पहुँचा खुदा के तईं
मालूम अब हुआ कि बहोत मैं भी दूर था
आतिश बुलन्द दिल की न थी वर्ना ऐ कलीम
यक शोला बर्क़े-ख़िरमने-सद कोहे-तूर था
हम ख़ाक में मिले तो मिले लेकिन ऐ सिपहर
उस शोख़ को भी राह पे लाना ज़रूर था
मजलिस में रात एक तेरे परतवे बग़ैर
क्या शम्म क्या पतंग हर एक बे-हज़ूर था
मूनिम के पास क़ाक़िमो-सिंजाब था तो क्या
उस रिन्द की भी रात कटी जोकि ऊर था
कल पाँव एक कासा-ऐ-सर पर जो आ गया
यक-सर वो इस्तख़्वान शिकस्तों चूर था
कहने लगा के देख के चल राह बे-ख़बर
मैं भी कभू किसी का सर-ऐ-पुर-ग़ुरूर था
था वो तो रश्क-ए-हूर-ए-बहिश्ती हमीं में 'मीर'
समझे न हम तो फ़हम का अपने क़सूर था
haa musteaar husn se usake jo nuur thaa
Khurshiid me.n bhii us hii kaa zarraa-e-zahuur thaa
Khurshiid me.n bhii us hii kaa zarraa-e-zahuur thaa
pahu.Nchaa jo aap ko to mai.n pahu.Nchaa Khudaa ke taaiin
maaluum ab huaa ki bahot mai.n bhii duur thaa
maaluum ab huaa ki bahot mai.n bhii duur thaa
kal paa.Nv ek kaasaa-e-sar par jo aa gayaa
yak-sar wo istaKhvaan shikaston main chuur thaa
yak-sar wo istaKhvaan shikaston main chuur thaa
kahane lagaa ke dekh ke chal raah be-Khabar
mai.n bhii kabhuu kisuu kaa sar-e-pur-Guruur thaa
mai.n bhii kabhuu kisuu kaa sar-e-pur-Guruur thaa
thaa vo to rashk-e-huur-e-bahishtii hamii.n me.n 'Meer'
samajhe na ham to feham kaa apane qasuur thaa
samajhe na ham to feham kaa apane qasuur thaa
-meer taqi meer
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