Friday, 31 January 2020
कलकतवा से मोर पिया अइहें कि दू ना।
कलकतवा से मोर पिया अइहें कि दू ना।
चार महीना जाड़ा-पाला के दिनवाँ
पियवा हमके रजइया ओढ़इहें कि दू ना।
चार महीना पसेनवाँ के दिनवाँ
पियवा रसे-रसे बेनिया डोलइहें कि दू ना।
चार महीना बरसात के दिनवाँ
पियवा हमरा के छातावा ओढ़इहें कि दू ना।
कहत महेन्दर पीया छछनेला जीया
पिया हमरो जवनियाँ जुरइहें कि दू ना।
पिया हमरो आसारवा पुरहठें कि दू ना।
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