Friday 31 January 2020

राम लखन मोरा बन के गमन कइलें हमरा के तेजी कहाँ गइलें हो लाल।

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राम लखन मोरा बन के गमन कइलें हमरा के तेजी कहाँ गइलें हो लाल।
जब सुधी आवे राम साँवली सुरतिया से हिये बीच मारेला कटरिया हो लाल।
बालेपन से रामा गोदी में खेलवनी से जोरली सनेहिया तोरी गइलें हो लाल।
बिसरत नाहीं रामजी साँवली सुरतिया से छोटी-छोटी तीरवा धनुहिया हो लाल।
के मोरा खइहें रामा माखन मलइया से हँसि-हँसि मँगिहें मिठइया हो लाल।
कवना बिरिछ तले भींजत होइहें से राम लखन दुनू भइया हो लाल।
कोमल चरनियाँ रामा काँटा गरि जइहें से कइसे दू सूतिहें धरतिया हो लाल।
कंदमूल खइहें राम उहो नाहीं मिलिहें से भूखे होइहें हमरो ललनवाँ हो लाल।
कहत महेन्द्र कब ले होइहें मिलनवाँ से तरसेला दूनू रे नयनवाँ हो लाल।


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