Friday 31 January 2020
सुरमा सजीलें आँख दाँतन में मिस्सी भरे,
सुरमा सजीलें आँख दाँतन में मिस्सी भरे,
लाली है अधर पान काम उपजाने को।
सोहत है भुज दंड अँगनिया की है तंग,
निरखत है अंग-अंग प्रीतम ललचाने को।
झूलनी बहारदार गर्णफूल कानन में,
जड़ित मणिमाल लाल अंगूठी देखाने को।
द्विज महेन्द्र नई है नवेली अलबेली आज,
चली है सिंगार साज प्रीतम फँसाने को।
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