Wednesday, 1 January 2020

दर्द बताते भी दर्द होता है Dard batate bhi dard hota hai

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सब अपनी कहानी कहते है
लफ्ज ब लफ्ज बजुबानी कहते है
क्या क्या न सितम सहे
ये पल पल दोहराते है

मेरा भी दिल तो होता है के कुछ हाल खुद का बयान करू
कोशिश करी तो थी मगर यू भर आया के जुबा तक खोल न पाया

जख्म मेरे अभी भी ताज़े है घाव अभी भी रिसते है
पल पल उनकी यादों की चक्की मैं अब भी पिसते है

हंसता मुस्कुराता मिलता हु पर दर्द मुझे भी होता
शायद इतना ज्यादा होता है के दर्द बताते भी दर्द होता है

बस ये ही सोचकर खामोश हु
क्यों बोलकर और दर्द सहु


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