Saturday 29 February 2020

धोबियों का नृत्य

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लो, छन छन, छन छन,
छन छन, छन छन,
नाच गुजरिया हरती मन!

उसके पैरों में घुँघरू कल,
नट की कटि में घंटियाँ तरल,
वह फिरकी सी फिरती चंचल,
नट की कटि खाती सौ सौ बल,

लो, छन छन, छन छन,
छन छन, छन छन,
ठुमुक गुजरिया हरती मन!

उड़ रहा ढोल धाधिन, धातिन,
औ’ हुड़ुक घुड़ुकता ढिम ढिम ढिन,
मंजीर खनकते खिन खिन खिन,
मद मस्त रजक, होली का दिन,

लो, छन छन, छन छन,
छन छन, छन छन,
थिरक गुजरिया हरती मन!

वह काम शिखा सी रही सिहर,
नट की कटि में लालसा भँवर,
कँप कँप नितंब उसके थर थर
भर रहे घंटियों में रति स्वर,

लो, छन छन, छन छन,
छन छन, छन छन,
मत्त गुजरिया हरती मन!

फहराता लँहगा लहर लहर,
उड़ रही ओढ़नी फर फर फर,
चोली के कंदुक रहे उघर,
(स्त्री नहीं गुजरिया, वह है नर!)

लो, छन छन, छन छन,
छन छन, छन छन,
हुलस गुजरिया हरती मन!

उर की अतृप्त वासना उभर
इस ढोल मँजीरे के स्वर पर
नाचती, गान के फैला पर,
प्रिय जन गण को उत्सव अवसर,—

लो, छन छन, छन छन,
छन छन, छन छन,
चतुर गुजरिया हरती मन!

रचनाकाल: जनवरी’ ४०


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