Saturday, 1 February 2020
धर्म शिक्षा 3
जो करना है काल तोहि करले आज सुजान।
आज करै सो अबहिं कर पल में चल जाँय प्रान।।1
दीन्हों ईश्वर ने तुम्हें धन बल बुधि अरु धर्म।
धन बल की शोभा यही निशिदिन करौ सत्कर्म।।2
जो सच्चे धर्मज्ञ तुम खरचहु धन बल आज।
खोल मदर्सह गाँव में देहु सीख सिरताज।।3
सीखें विद्या बालगण होय धर्म का ज्ञान।
धर्म ज्ञान बिनु जगत महं नहिं चीन्हें भगवान।।4
बिनु चीन्हें भगवान के कहाँ होय कल्यान।
कल्यान बिना संसार में होय धर्म की हान।।5
धर्महीन नर जगत महं बिचरें पशु समान।
खावें डंडा खलन के तबहुँ न उपजै ज्ञान।।6
हे वासी सुरिनाम के भारत की संतान।
खर्चहु धन लो धरम को मरे न होय बिहान।।7
देखहु विद्या की चमक यूरुप अरु जापान।
धनी धर्म आरूढ़ वे अरु यशवंत जहान।।8
देख चलहुँ ता चाल पर हे भारति विद्वान।
अवशहिं चढ़ि हौ शिखर पर यह शिक्षा रहमान।।9
No related posts
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
No comments :
Post a Comment