Wednesday, 12 February 2020
उल्फ़त नशे का ज़िद सभी सच्चा गुरूर होगा।
उल्फ़त नशे का ज़िद सभी सच्चा गुरूर होगा।
परमात्मा उसी दम जाहिर जरूर होगा॥
अधमों की अधमता पर खुश हो अधम उधारण।
फिर क्यों न अधमता पर हमको गुरूर होगा॥
हर शै में उसकी सूरत उस दिन झक पड़ेगी।
जिस दिन दुई का पर्दा इस दिल से दूर होगा॥
लग जाएगी जो उसके कदमों की एक ठोकर।
पापों का सख्त पुतला पल भर में चूर होगा॥
गर अश्रु ‘बिन्दु’ यूं ही बरसेंगे तो बिला शक।
बंदे के सामने ख़ुद हाजिर हुजूर होगा॥
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