Thursday 29 November 2018

बन के पंछी भए बावरे, ऐसी बीन बजाई सांवरे।

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बन के पंछी भए बावरे, ऐसी बीन बजाई सांवरे।
तार तार की तान निराली, झूम रही सब वन की डाली। (डारी)
पनघट की पनिहारी ठाढ़ी, भूल गई खुसरो पनिया भरन को।

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