Friday 30 November 2018

हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा

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गल अलफी सिर-पा-बरहना, भलके रूप वटावेंगा,
इस लालच नफ़सानी कोलों, ओड़क मून मनावेंगा,
घाट ज़िकात मंगणगे प्यादे, कहु की अमल विखावेंगा,
आण बनी सिर पर भारी, अगों की बतलावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

हक्क पराइआ जातो नाहीं, खा कर भार उठावेंगा,
फेर ना आ कर बदला देसें लाखी खेत लुटावेंगा,
दाअ ला के विच जग दे जूए, जित्ते दम हरावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

जैसी करनी वैसी भरनी, प्रेम नगर दा वरतारा ए,
एथे दोज़ख कट्ट तूं दिलबर, अगे खुल्ल्ह बहारा ए,
केसर बीज जो केसर जंमे, लस्हन बीज की खावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

करो कमाई मेरे भाई, इहो वकत कमावण दा,
पौ-सतारां पैंदे ने हुण, दाय ना बाज़ी हारन दा,
उजड़ी खेड छपणगियां नरदां, झाड़ू कान उठावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

खावें मास चबावें बीड़े, अंग पुशाक लगाइआ ई,
टेढी पगड़ी अक्कड़ चलें, जुत्ती पैर अड़ाइआ ई,
पलदा हैं तूं जम दा बकरा, आपना आप कुहावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

पल दा वासा वस्सन एथे, रहन नूं अगे डेरा ए,
लै लै तुहफे घर नूं घल्लीं, इहो वेला तेरा ए,
ओथे हत्थ ना लगदा कुझ वी, एथों ही लै जावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

पढ़ सबक मुहब्बत ओसे दा तूं, बेमूजब क्यों डुबना एं,
पढ़ पढ़ किस्से मगज़ खपावें, क्यों खुभण विच खुभना एं,
हरफ़ इश्क दा इक्को नुक़्ता, काहे को ऊठ लदावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

भुक्ख मरेंदीआं नाम अल्लाह दा, इहो बात चंगेरी ए,
दोवें थोक पत्थर थीं भारे, औखी जेही इह फेरी ए,
आण बणी जद सिर पर भारी, अग्गों की बतलावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

अम्मां बाबा बेटी बेटा, पुच्छ वेखां क्यों रोंदे नी,
रन्नां कंजकां भैणां भाई, वारस आण खलोंदे नी,
इह जो लुट्टदे तूं नहीं लुट्टदा, मर के आप लुटावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

इक इकलिआं जाणा ई तैं, नाल ना कोई जावेगा,
खवेश-कबीला रोंदा पिटदा, राहों ही मुड़ आवेगा,
शहरों बाहर जंगल विच वासे, ओथे डेरा पावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

करां नसीहत वड्डी जे कोई, सुण कर दिल 'ते लावेंगा,
मोए तां रोज़-हशर नूं उट्ठण, आशक ना मर जावेंगा,
जे तूं मरें मरन तों अग्गे, मरने दा मुल्ल पावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

जां राह शर्हा दा पकड़ेंगा, तां ओट मुहंमदी होवेगा,
कहिंदी है पर करदी नाहीं, इहो ख़लकत रोवेंगा,
हुण सुत्त्यां तैनूं कौण जगाए, जागदिआं पछतावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

जे तूं साडे आखे लग्गें, तैनूं तख़त बहावांगे,
जिस नूं सारा आलम ढूंडे, तैनूं आण मिलावांगे,
ज़ुहदी हो के ज़ुहद कमावें, लै पिया गल लावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

ऐवें उमर गवाईआ औगत, अकबत चा रुढ़ाइआ ई,
लालच कर कर दुनियां उत्ते, मुक्ख सफैदी आया ई,
अजे वी सुन जे तायब होवें, तां आशना सदावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

बुल्ल्हा शौह दे चलणा एं तां चल, केहा चिर लाइआ ई,
जिको धक्के की करने, जां वतनों दफ़तर आया ई,
वाचन्दिआं खत अकल गईओ ई रो रो हाल वंजावेंगा,
हिजाब करें दरवेशी कोलों, कद तक हुक्म चलावेंगा ।

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