Friday 30 November 2018

इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए ।

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इक अलफ़ों दो तिन्न चार होए, फिर लक्ख करोड़ हज़ार होए,
फिर उथों बाझों शमार होए, इक अलफ़ दा नुक़्ता न्यारा ए,
इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए ।

क्यों पढ़ना एं गड्ड किताबां दी, सिर चाना एं पंड अज़ाबां दी,
हुण होइउं शकल जल्लादां दी, अग्गे पैंडा मुशकल भारा ए,
इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए ।

बण हाफ़ज हिफ़ज कुरान करें, पढ़ पढ़ के साफ़ ज़बान करें,
फिर न्यामत विच ध्यान करें, मन फिरदा ज्युं हलकारा ए,
इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए ।

बुल्ल्हा बी बोहड़ दा बोया ई उह बिरछ वड्डा जा होया ई,
जद बिरछ उह फ़ानी होया ई फिर रह गया बी अकारा ए,
इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए ।

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