Thursday 29 November 2018

ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां

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ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां ।
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,
न लेहो काहे लगाये छतियां ।

शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़
वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,
सखि पिया को जो मैं न देखूं
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ।

यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू
ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,
किसे पडी है जो जा सुनावे
पियारे पी को हमारी बतियां ।

चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान
हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह ।
न नींद नैना, ना अंग चैना
ना आप आवें, न भेजें पतियां ।

बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर
कि दाद मारा, गरीब खुसरौ ।
सपेट मन के, वराये राखूं
जो जाये पांव, पिया के खटियां ।

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