Friday 30 November 2018

कदी आपनी आख बुलाओगे

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मैं बेगुन क्या गुन किया है, तन पिया है मन पिया है,
उह पिया सु मोरा जिया है, पिया पिया से रल जाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

मैं फ़ानी आप को दूर करां, तैं बाकी आप हज़ूर करां,
जे अज़हार वांग मनसूर करां, खड़ सूली पकड़ चढ़ाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

मैं जागी सभ सोया है, खुल्ल्ही पलक ते उठ के रोया है,
जुज़ मसती काम ना होया है, कदी मसत अलस्सत बणाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

जदों अनहद बण दो नैन धरे, अग्गे सिर बिन धड़ के लाख पड़े,
उच्छल रंगन दे दरिआ चढ़े, मेरे लहू दी नदी वगाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

किसे आशक ना सुक्ख सोना ए असां रो रो के मुक्ख धोना ए,
इह जादू है कि टूना ए इस रोग दा भोग बणाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

कहो क्या सिर इश्क बिचारेगा, फिर क्या बीसी निरवारेगा,
जथ दार उप्पर सिर वारेगा, तब पिच्छों ढोल वजाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

मैं आपना मन कबाब किया, आंखों का अरक शराब किया,
रग तारां हड्ड कबाब किया, क्यामत क्या नाम बुलाओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

शकरंजी को क्या कीजीएगा, मन भाना सौदा लीजीएगा,
इह दीन दुनी किस दी जीएगा, मुझे आपना दरस बताओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

मैनूं आण नज़ारे ताइआ है, दो नैणां बरखा लाइआ है,
बन रोज़ इनायत आया है, ऐवें आपना आप जिताओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

बुल्ल्हा शहु नूं वेखन जाओगे, इन्हां अक्खियां नूं समझाओगे,
दीदार तदाहीं पाओगे, बण शाह इनायत घर आओगे ।
कदी आपनी आख बुलाओगे ।

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