Saturday 29 December 2018

ऐ आरज़ू-ए-शौक़ तुझे कुछ ख़बर है आज

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ऐ आरज़ू-ए-शौक़ तुझे कुछ ख़बर है आज 
हुस्न-ए-नज़र-नवाज़ हरीफ़-ए-नज़र है आज 

हर राज़दाँ है हैरती-ए-जलवा-हा-ए-राज़ 
जो बा-ख़बर है आज वही बे-ख़बर है आज 

क्या देखिए कि देख ही सकते नहीं उसे 
अपनी निगाह-ए-शौक़ हिजाब-ए-नज़र है आज 

दिल भी नहीं है महरम-ए-असरार-ए-इश्क़ दोस्त 
ये राज़दाँ भी हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर है आज 

कल तक थी दिल में हसरत-ए-अज़ादी-ए-क़फ़स 
आज़ाद आज हैं तो ग़म-ए-बाल-ओ-पर है आज

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