Friday 28 December 2018

तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं

No comments :
तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं
जिनिको पीने की आस हो साक़ी

आज इतनी पिला दे आँखों से
ख़त्म रिंदों की प्यास हो साक़ी

हल्क़ा हल्क़ा सुरूर है साक़ी
बात कोई ज़रूर है साक़ी

तेरी आँखें किसी को क्या देंगी
अपना अपना सुरूर है साक़ी

तेरी आँखों को कर दिया सजदा
मेरा पहला क़ुसूर है साक़ी

तेरे रुख़ पे ये परेशाँ ज़ुल्फ़ें
इक अँधेरे में नूर है साक़ी

तेरी आँखें किसी को क्या देंगी 
अपना अपना सुरूर है साक़ी

पीने वालों को भी नहीं मालूम
मैकदा कितनी दूर है साक़ी

No comments :

Post a Comment