Monday 31 December 2018

ग़म गुसारों की बात करते हो ,

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ग़म गुसारों की बात करते हो 
किन सहारों की बात करते हो

हम सभी मौसमों से गुज़रे हैं 
क्यों बहारों की बात करते हो

जिनकी बुनियाद का वजूद नहीं
उन दीवारों की बात करते हो

तुमसे होगी नहीं मसीहाई 
क्यों बीमारों की बात करते हो

जिनकी ख़ातिर हुए हो तुम रुस्वा
कैसे यारों की बात करते हो

गुलसिताँ आग के हवाले है
किन चिनारों की बात करते हो

एक जुगनू नज़र नहीं आता
तुम सितारों की बात करते हो

मेरी कश्ती इन्हीं में डूबी है
तुम किनारों की बात करते हो

चाँद पर भी हमें तो ख़ाक़ मिली
तुम सितारों की बात करते हो।

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