Monday 31 December 2018

इश्क़ का कारोबार करते थे

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इश्क़ का कारोबार करते थे 
ग़म की दौलत शुमार करते थे 

क्या तुम्हें याद है या भूल गये
हम कभी तुमसे प्यार करते थे 

काँटे भरते थे अपने दामन में 
फूल उन पर निसार करते थे

बनके मजनू जुदाई में उनकी
पैरहन तार तार करते थे

अब तो बस इतना याद है के उन्हें
याद हम बेशुमार करते थे

याद में तेरी रात भर तन्हा
"चाँद" तारे शुमार करते थे.

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