Saturday, 29 December 2018

तुन्द मय और ऐसे कमसिन के लिये

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तुन्द मय और ऐसे कमसिन के लिये 
साक़िया हल्की-सी ला इन के लिये 

मुझ से रुख़्सत हो मेरा अहद-ए-शबाब 
या ख़ुदा रखना न उस दिन के लिये 

है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार 
सादगी गहना है इस सिन के लिये 

सब हसीं हैं ज़ाहिदों को नापसन्द 
अब कोई हूर आयेगी इन के लिये 

वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर 
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये 

सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा 
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये 

लाश पर इबरत ये कहती है 'अमीर' 
आये थे दुनिया में इस दिन के लिये

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