बदल-ए-लज़्ज़ते-आज़ार कहाँ से लाऊँ अब तुझे ऐ सितमे-यार कहाँ से लाऊँ है वहाँ शाने-तगाफ़ुल को जफ़ा से भी गुरेज़ इल्तफ़ाते-निगहे-यार कहाँ से लाऊँ शेर मेरे भी हैं पुरदर्द वलेकिन ’हसरत’ ’मीर’ का शेवाए-गुफ़्तार कहाँ से लाऊँ
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