Friday, 28 December 2018

ख़ैरात सिर्फ इतनी मिली है हयात से

No comments :
ख़ैरात सिर्फ इतनी मिली है हयात से
पानी की बूँद जैसे अता हो फ़ुरात से

शबनम इसी जुनूँ में अज़ल से है सीना-कूब
ख़ुर्शीद किस मक़ाम पे मिलता है रात से

नागाह इश्क़ वक़्त से आगे निकल गया
अंदाज़ा कर रही है ख़िरद वाक़िआत से

सू-ए-अदब न ठहरे तो दें कोई मशवरा
हम मुतमइन नहीं हैं तेरी काएनात से

साकित रहें तो हम ही ठहरते हैं बा-क़ुसूर
बोलें तो बात बढ़ती है छोटी सी बात से

आसाँ-पसंदियों से इजाज़त तलब करो
रस्ता भरा हुआ है 'अदम' मुश्किलात से.

No comments :

Post a Comment

{js=d.createElement(s);js.id=id;js.src=p+'://platform.twitter.com/widgets.js';fjs.parentNode.insertBefore(js,fjs);}}(document, 'script', 'twitter-wjs');