Friday, 28 April 2017
माँ तुझे मैं भुला नहीं
माँ तुझे मैं भुला नहीं
माँ की ममता का तोल नहीं
माँ तेरे जैसे बोल कही नहीं
तू परियो सी नजर आती है
मेरे सर पर हरदम अपना हाथ छूकर जाती है
तू भूलना मत के
माँ मैं तुझे भुला नहीं
आज भी रात को मेरा बिस्तर सजाती है
मेरे लिए दुनिया भर के खाने सजाती है
तू भूलना मत के
माँ तुझे मैं भुला नहीं
मोहबत भी इबादत भी
मोहबत भी इबादत भी
गर मोहबत भी इबादत ही है
तो ये बदनाम कैसे हुई
गर इबादत मैं खलल गुनाह है तो
तो मोहब्बत पे बंदिशे क्या है
मोहबत तो मोहब्बत है
इसे मोहब्बत से क़बूले दुनिया तो बेहतर है
ये दुनिया जन्नत है इसके दम पर
वार्ना तो ये जहन्नुम से भी बदतर है
मोहबत झरना है नूर का
या इत्तर है फिरदौस का
गर खुदा खौफ हो तो इबादत करना ,
मोहब्बत से बगावत मत करना
रब्त
रब्त
इस कदर रब्त है लोगो को मुझसे
के मेरा नाम सुनते ही तौबा करते हैं
इस कदर तुझमे दुब गया ये दिल तुझ मैं
के लोग अब मुझमे तेरा ही अक्स देखते है
कुछ तो मुझमे मेरा रहने देते
मुझे देखने वाले नाम भी अब तेरा ही लेते है
लोग कहते के मैं तो फारिग हु
पर मैं सोचता हु के तेरी यादो ने कब छोड़ा मुझे
मेरे तजुरबो की मानो तो इश्क़ न करता कोई
पर फिर भी हर शक्श इश्क़ से मुतासिर है
खुदा की इबादत
उसकी खूबसूरती मैं कुछ खास नहीं
उसके चेरे की रंगत भी कुछ अलग नहीं
गुलाब से जलते होठ है उसके
पर गुलाबकोई खास तो नहीं
मीठी सी बोली है उसकी
पर रसो का स्वाद कोई नयी बात तो नहीं
कोई कह रहा था के रात से काली है जुल्फे उसकी
पर रात तो हर रात को देखते है
यु तो कहते है के उसकी आँखों से पीने का मजा और है
पर मयखाने कोई खाली तो नहीं
लोग तरसते है उससे बात करने को को
के बातो से उसके फूल झरते है
अब इसमे क्या नयी बात है
गुलिस्तांन मैं तो रोज हजारो फूल झरते है
यु तो खास नहीं उसमे,
खुदा ही बना डाला मैंने उसे अपना
अब खुदा की इबादत तो सभी करते है
उसके चेरे की रंगत भी कुछ अलग नहीं
गुलाब से जलते होठ है उसके
पर गुलाबकोई खास तो नहीं
मीठी सी बोली है उसकी
पर रसो का स्वाद कोई नयी बात तो नहीं
कोई कह रहा था के रात से काली है जुल्फे उसकी
पर रात तो हर रात को देखते है
यु तो कहते है के उसकी आँखों से पीने का मजा और है
पर मयखाने कोई खाली तो नहीं
लोग तरसते है उससे बात करने को को
के बातो से उसके फूल झरते है
अब इसमे क्या नयी बात है
गुलिस्तांन मैं तो रोज हजारो फूल झरते है
यु तो खास नहीं उसमे,
खुदा ही बना डाला मैंने उसे अपना
अब खुदा की इबादत तो सभी करते है
खुदाया उसको उम्र नवाज कर
वो जो हल्का सा था भ्रम
टूट गया
मेरे मन का था ये वहम
टूट गया
मैं तो ज़माने की कसमे खाने को तैयार थी
उसके लिए लेकिन
पर वो जो ताकता था छुप छुप कर मुझे
मुझसे रूठ गया
कहता था के दूर न पायूँगा तुमसे
एक भी दिन
आज एक एक दिन कर के
पूरा एक साल बीत गया
नरम अल्फाजो मैं कहता था के मर जायूँगा
तुमसे दूर होकर
मैं आज भी खौफजदा होकर दुआ पढ़ती हु
के खुदाया उसको उम्र नवाज कर
टूट गया
मेरे मन का था ये वहम
टूट गया
मैं तो ज़माने की कसमे खाने को तैयार थी
उसके लिए लेकिन
पर वो जो ताकता था छुप छुप कर मुझे
मुझसे रूठ गया
कहता था के दूर न पायूँगा तुमसे
एक भी दिन
आज एक एक दिन कर के
पूरा एक साल बीत गया
नरम अल्फाजो मैं कहता था के मर जायूँगा
तुमसे दूर होकर
मैं आज भी खौफजदा होकर दुआ पढ़ती हु
के खुदाया उसको उम्र नवाज कर
वो तो मेरा नाम भी याद नहीं रखते
वो तो मेरा नाम भी याद नहीं रखते
अभी कल ही की तो बात थी
बड़े हसकर मिलते थे
रातो रात कौन सा तूफ़ान आया
के अपनों क मायने बदल गए
कुछ तो बात हुई होगी
यु तो कोई करता नहीं
जमाना बदलता होगा रंग जल्दी
पर मैं तो ज़माने मैं उनको रखता नहीं
अब तो अजनबी की तरह मिलते है
बस रस्मी बाते करते है
ऐसा क्या था के वो भी
ज़माने के संग पराये हो गए
आजकल तो राह मैं गर मिल जाए
तो सलाम भी नहीं करते वो
मुझे तो आयात की तरह याद है वो
और वो तो मेरा नाम भी याद नहीं रखते
अभी कल ही की तो बात थी
बड़े हसकर मिलते थे
रातो रात कौन सा तूफ़ान आया
के अपनों क मायने बदल गए
कुछ तो बात हुई होगी
यु तो कोई करता नहीं
जमाना बदलता होगा रंग जल्दी
पर मैं तो ज़माने मैं उनको रखता नहीं
अब तो अजनबी की तरह मिलते है
बस रस्मी बाते करते है
ऐसा क्या था के वो भी
ज़माने के संग पराये हो गए
आजकल तो राह मैं गर मिल जाए
तो सलाम भी नहीं करते वो
मुझे तो आयात की तरह याद है वो
और वो तो मेरा नाम भी याद नहीं रखते
मैं तो खुद हैरान हु
दुश्मन चाहिए किसे यहाँ
दोस्त ही बहुत है पीठ पे छुरा घोपने के लिए
तीर तलवार की जरुरत तो बहुत पहले हुआ करती थी
अब तो शब्दों मैं ही ताकत है बहुत
ये नाच गाने का शोक तो बेकार लोग रखते है
किसी के जले पे नमक छिड़क कर देखिये
अरे क्या कीजियेगा सिनेमा जाकर
किसी का तमाशा ही बहुत है मजे लेने क लिए
यु न समझियेगा के मैं उदास हु
ये भी ना मान लीजियेगा के परेशां हु
मैं तो खुद गिरगिट की तरह रंगबदलते
जमाने से हैरान हु
दोस्त ही बहुत है पीठ पे छुरा घोपने के लिए
तीर तलवार की जरुरत तो बहुत पहले हुआ करती थी
अब तो शब्दों मैं ही ताकत है बहुत
ये नाच गाने का शोक तो बेकार लोग रखते है
किसी के जले पे नमक छिड़क कर देखिये
अरे क्या कीजियेगा सिनेमा जाकर
किसी का तमाशा ही बहुत है मजे लेने क लिए
यु न समझियेगा के मैं उदास हु
ये भी ना मान लीजियेगा के परेशां हु
मैं तो खुद गिरगिट की तरह रंगबदलते
जमाने से हैरान हु
Thursday, 27 April 2017
दगा
दगा
अक्सर मोहब्बत करते हुए लोग दगा दे जाते है
क्यों नफरत मैं दगा कोई देता नहीं
थक जाती है सचाई चिल्लाते हुए
क्यों झूठ चुप रहकर भी जीत जाता हैं
कहते है के दीवारों के भी कान होते है
क्यों इन कानो मै मोहब्त की बात सुनी नहीं देती
यु तो बहुत कच्चे मकान होते है
पर क्यों साजिशे क आगे पक्के घरोंदे भी टूट जाते है
सफर लम्बा होतो कुछ आराम कर लो
दो घडी की फुर्सत से कुछ ना बिगड़ेगा
मंजिल तो कब आएगी कोई ना जाने
पर रास्ता तो आराम से काट जायेगा
इंडिया तरक्की कर रहा है
मेरे देश का किसान मर रहा है
नौजवान सड़को पे बेरोजगार फिर रहा है
और कहने वाले कहते है
के इंडिया तरक्की कर रहा है
दवा से पहले पिज़ा पहुंच रहा है
पानी के बदले कोला रगो मैं घुल रहा है
और कहने वाले कहते है
के इंडिया तरक्की कर रहा है
जवान सीमा पे मर रहा है
कोई देश का पैसा विदेश मैं भर रहा है
और कहने वाले कहते है
के इंडिया तरक्की कर रहा है
देश की नेता विदेशो मैं बैठे है
देश की दुश्मन हर रोज सीमा पार कर रहे है
और कहने वाले कहते है
के इंडिया तरक्की कर रहा है
बेबसी
बेबसी
गूंगे देश की बेबसी तो देखो
मरते किसान की बेबसी तो देखो
विकास का ढोंग करने वालो की
बेरोजगारी पे चुप्पी तो देखो
जलसो की धूम मचने वालो
चौराहे की मजदूरी की बेबसी तो देखो
जगमगाते शहर मैं रोज
आँखों मैं जलते सपनो की तड़प तो देखो
इन बड़ी बड़ी विदेशी कपड़ो की दुकानों के बहार
उमीदो से भरे ठेलेवालों की मेहनत भी देखो
देखने को तो बहुत कुछ है
पर कोई इन शब्दों की गहराई तो देखो
रिश्तो की महफ़िल
रिश्तो की महफ़िल मैं हर दिल तंग सा क्यों है
कोई अधूरा तो कोई बेनाम सा क्यों है
कैसी उदासी छायी है चेहरे पे तुम्हारे
मेरी हर आवाज वो गुमनाम से क्यों हो
मुस्कराने की अदा तो हर एक को पता है
पर फिर भी लबो से मुष्कराहट अनजान सी क्यों है
यु तो बहुत है महफ़िल मई ठहाके लगाने वाले
पर ठहाको से ख़ुशी की पहचान क्यों नहीं
ये रौशनी ये पानी मैं जलते दीयेऔर ये शानो शौकत
सब तो है मगर ये मेरे काम के क्यों नहीं
प्यार मोहब्बत और ऐतबार से बनते है रिश्ते
पर इन लफ्जो पे मौसम मैं जंग एलान सा क्यों है
खुशकिस्मत
खुशकिस्मत
खुशकिस्मत था के मुझे तू मिली
ताप्ती धुप मैं मुझेजिन्दगी मिली
मेरे सर पर तुम्हारा साया है
हर गम मुझसे सरमाया है
ख़ुशी इठलाती हुई आती है हर राज
हर सुबह मुझे नयी जीत मिली
मुस्कराती रही किस्मत यु मेरी
दिल को मेरे तुझसे धड़कन मिली
Wednesday, 26 April 2017
mannmarjee
आओ फिर से मंनमर्जी करते है
चलो धुप मै कही बाहर निकलते है
कुछ मिटटी की बर्तन बनाते है
कुछ फूलो को तोड़ के लाते है
रसोई से कच्चे आम लेकर
फिर से बाहर भागते है
अक्कड़ बक्कड़ करके सबकुछ तय करते है
आओ फिर से मंनमर्जी करते है
मै गुड़िया लाऊ तुम गुड्डा
फिर शादी उनकी करते है
फिर से दौड़ दौड़ के
आँगन की सिडिया चढ़ते है
मिटटी पे लकीर खींचकर फिर से कुछ खेल बनाते है
मै कोई काज़ी नहीं
मै कोई काज़ी नहीं
दिल भी जिद पर अड़ा है
मौला भी राजी नहीं
अब किसको मनाऊ , किसको समझाऊ
मै कोई काज़ी नहीं
दिल कहता है का काफिर हो जाऊ
छोड़ दू तेरी बंदगी और किसी और को हाजिर हो जाऊ
खुदा कहता है के तेरी मंजिल मै हु
और दिल कहता है के मंजिल नहीं बस उसका रास्ता चाहिए
अब किसको मनाऊ क्सिको समझाऊ
मै कोई काज़ी नहीं
दिल कहता है के खुदा को किसने देखा है
वो जो सामने है वो कौन सा खुदा से कम है
मै जन्नत की जुफ्तज़ु क्यों करू
खुदा तो खुद ही ही धरती पे बैठा है
अब किसको मनाऊ क्सिको समझाऊ
मै कोई काज़ी नहीं
बचपन की बारिश
बचपन की बारिश
आज फिर से बारिशो का पानी आया है
बचपन की यादे फिर से महका के लाया है
फिर से पूछे दिल आज ये सवाल
के कहा से ये कौन लाता है पानी
वो छम छम कर के बरसती थी बुँदे
बूंदो को छूने तरसता था ये दिल
गरजती बिजली से कब डरता था ये दिल
हर पल मैं मै थी नन्ही सी उलझन
के कहा से ये कौन लाता है पानी
बारिश मै हर दिन भीगे से कपडे
कॉपी किताबो के गीले से पन्ने
कटोरी मै हर बार भरना ये पानी
स्वाद मै था शर्बतों से भारी
के कौन कहा से लाता है पानी
old sufi song , jindagi ko sawaar de moula
जिंदगी को सवार दे
ज़िन्दगी को संवार दे मौला..
हुस्न इसका निखार दे
ज़िन्दगी को संवार दे मौला..
तेरे जलवो को देखने के लिए..
मुझको आंखे हज़ार दे मौला
ज़िन्दगी को संवार दे मौला..
मेरी दुनिया को लग गयी है नज़र..
इसका सदका उतार दे मौला
ज़िन्दगी को संवार दे मौला..
जब तू मेरी जिंदगी मै आया है
जब तू मेरी जिंदगी मै आया है
जब तू मेरी जिंदगी मै आया है
रोशन हुआ हर साया है
डर नहीं अब तपती धूप का
साये पे तेरे यकीन हो आया है
पथरीली रही की थकन नहीं
मंजिल का सुकून मैंने पाया है
जब से तू मेरी जिंदगी मैं आया है
मुस्कराहटों की वजह और
दिल का सुकून मैंने पाया है
क्यों ना इतरायु अपने नसीब पर
खुदा का नूर मैंने पाया है
जब से तू मेरी जिंदगी मैं आया है
तेरी मेरी प्रेम कहानी
मोहब्बत तुमसे थी तुमसे है
सदा रहेगी
ये जिंदगी तुम्हारी अमानत
बनकर रहेगी
तेरा मन का निश्छल प्रेम
मेरे ह्रदय का सच्चा नेह
ऐसा मिलान है देखा होगा
कभी किसी ने किसी जनम मैं
तेरी मेरी प्रेम कहानी सदियों तक अमर रहेगी
तेरी आँखों मैं खवाब मेरे
मेरे रस्ते पे हरदम नैन तेरे
तुझकपर हर दम बलिहारी
पूजा सम हैं ये प्रीत हमारी
मेरे दिल मैं तेरी धड़कन सदा बसेगी
Tuesday, 25 April 2017
लबो से कह दो
लबो से कह दो
लबो से कह दो
मेरा नाम न ले
शाम से कह दो
के अब सुबह न हो
मैं तुम बिन जी तो लूंगा
मगर घड़ी घडी सास अटकेगी
मैं तुमसे अच्छा पा भी लूंगा
मगर नजर तुमको ही ढूंढेगी
वक्त से कह दो
यु सितम न दे
वही दरख़्त है वही हैं पत्ते
मगर जमीन नहीं कदमो तले
ये फासले बढ़ते ही गए
हम कितने मीलो चले
जुदा होने वाले
बद दुआ न दे
Salaam jindagi
Salaam jindagi
जिंदगी तेरी मेरी तेरी
मेरी तेरी मेरी जिंदगी
दिल का खवाबो का सफ़र
चलता रहे जिंदगी भर
मैं न रहू तुम बिन एक बी पल
आ कुछ ऐसा कर गुजर
ऐ मेरे रहबर हमसफ़र
चल कुछ देर तो साथ चल
तेरी आँखों मैं मिले
जिंदगी के सारे रूप
जब देख छाव मुझे मिली
बहार थी कडी धुप
तू ही पहली बारिश की खुशबु
सर्दी की नरम धुप तू
तेरी ख़ुशी
तेरी ख़ुशी
यु तो ज़माने मैं बहुत गम है
पर तेरी ख़ुशी मैं सब कम है
तेरी मुस्कराहोतो तो जो तोल कर देखु
अपने थकन के बदले
तो लगता है के ये थकन तो बहुत कम है
दो घडी तेरे नजदीक बैठ कर जो मिलता है सुकून
उस सुकून के बदले मैं लगता है के
मीलो का सफर भी बहुत कम है
यु तो है दोस्त भी बहुत और हमदर्द भी बहुत है
पर जो तुझमे है हैं
वो कहा सबकी सोहबत मैं दम हैं
ये गलतफहमी है दुनिया की के मैं तनहा हु तुम बिन
तेरी यादे और निशानिया मेरे नजदीक हरदम है
Monday, 24 April 2017
रुसवाइयां
रुसवाइयां
![]() |
sathiyaa |
तेरी महफ़िल मैं रुसवा हुए तो बहुत नाम होगा
अब तुम ही कहो, मुझसे पहले ऐसा कौन हुआ होगा
चारो तरफ शमा जली और सीने मैं मेरा दिल
ऐसा नजारा तो बस शयद ही किसी ने सुना होगा
अपनापन इस कदर के हर ताने मैं बस मेरा ही नाम था
इतना नाम तो खुदा का भी न उसने लिया होगा
मेरा हर तोहफा बेरुखी से लौटा दिया मुझको ही
मैं खुश हु के कितना सहेजकर हर तोहफा उसने रखा होगा
तू ही तू
तू ही तू
मेरी डगर मैं , मेरे नजर मैं
है तू ही तू
सपनो की राह मैं.
फूलो की छाव मैं
है तू ही तू
सपना सा लगे है ये जीवन मुझ को
तू ही बस अपन सा लगे है मुझको
मैं तुझको चाहु
तुझे ही तो पायु
हां तू ही तू
तुम बिन तो नींद आती नहीं
सपने भी तुम बिन भाते नहीं
तुम आ भी जाओ
गले से लगाओ
हां तू ही तू
मैं हु तेरी कई जनमो की प्यासी
जो तुझको देख भूली उदासी
तुम इन न चैन
न बीते ये रेन
है तू ही तू
Sunday, 23 April 2017
दुआ
Dua
ये प्यार भी अजीब बला है
जब तुम न थे तो तुमसे मिलाने को
दुआ मांगती थी
अब तुम हो
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है
मैं धुप मैं जब जब चालू
वो साये की तरह सर पे छाव रखता है
पाँव क नीचे ये जमीन नहीं होती
अब तो वो नजरे अपनी बिछा कर रखता है
अब तुम हो
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है
मेरी इन दो आँखों मैं
अब रूप तेरा ही दिखता है
मैं जब जब भी उदास रहू
तू बन कर हसी मेरे लबो पे आता है
अब तुम हो
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है
जाने समय ने क्या ,
छुपा कर रखा है अपने दामन मैं
पर मुझको तो अब तू ही
जिंदगी के नाम पे इक तेरा ही चेहरा दीखता है
अब तुम हो
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है
Saturday, 22 April 2017
तेरी ही तलाश है मुझे
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
ऐसे मैं भुला तुझे
के सब मंजिले मुझे भूल गयी
फूलो की चाह थी मुझे
और कोशिशे देकर मुझे शूल गयी
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
रब्बा मेरे गुनाहो को तू
माफ़ी अदा फरमा
ले चल मुझे एक नयी राह तू
और रास्ता नया दिखा
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
मेरा भुला तुझे ओर
हाथ तेरा मुझपर सदा रहा
तेरी रहमत का ये सिलसिला हम बन्दों पर
सदियों से यु ही चल रहा
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
Friday, 21 April 2017
तुम मिल गए
हां, मेरी जिंदगी तुम मेरी आशिकी मेरी ख़ुशी हो
तुम से है सासे जुडी, कदमो पे आंखे जुडी
कैसे कही पे, तुम यु ही जमीन पे थे
और बेवजह चाँद तारो से जुड़ गए
है तेरी ही है ये दुआ
मुझको जो है अब तक मिला
तुझसे करे के गिला
रास्ते ही अचानक कही और मुड़ गए
मैं कैसे तुझसे कहु
तेरा कैसे शुक्रिया करू
बेजान से जिंदगी मैं
जाने कैसे तुम दो घड़ी मिल गए
Thursday, 20 April 2017
मैं खुश हु
मैं खुश हु
मैंने भी सपने देखे थे सारे सपने टूट गए
पर फिर भी मैं खुश हु
हथेलियों मई मेहँदी लगी थी, कलाइयों मैं चुड़िया
मेहँदी का रंग एक ही दिन मैं छूट गया
चूड़ियों का तिनका तिनका टूट गया
पर फिर भी मै खुश हु
माँ ने सपने दिखाए थे, अपने बने पराये थे
बाबा ने बहुत लाड जताये थे, हर कदम पे फूल बिछाये थे
फूलो मैं जाने किसने कांटे छिपाये थे
पर फिर भी मई खुश हु
एक ससुराल का नाम बताया, स्वर्ग जैसा उसको बताया
पति को किसने परमेश्वर जैसा बताय था
ससुराल नहीं वो सापो का जाल था कदम कदम पे शिकारी तैयार था
कभी रुसवा किया तो कभी जलता छोड़ दिया
किसी ने कानून की किताबो मैं पैसा रखकर मेरा दर्द तोल दिया
तो किसी ने मेरे जख्मो पे मरहम के बहाने और नमक डाल दिया
बहुत आंसू बहाये बहुत दुहाई दी
पर शायद मेरी आवाज किसी को सुनाई न दी
पर चलो अच्छा हुआ
क्युकी मैं खुश हु
मैं खुश हु की मैं आजाद हु ससुराल की जेल से
मैं खुश हु की सजा छोटी ही थी मेरी
माँ , मैं खुश हु
Wednesday, 19 April 2017
तुम्हरे बिना
तम्मनाए तो और भी बहुत थी एक तेरी तम्मना के सिवा
लेकिन ना जाने क्यों कुछ याद न रहा इक तेरी तम्मना के सिवा
शाम होते ही, हो जाता है ये शहर रोशन
क्यों मेरे आंगन मै कोई रौशनी का ठिकना नहीं
इक टूटी हुई शम्मा क बिना
सोचा था के इक दिन ताजमहल जैसा कुछ बनायूंगा
अब सोचता हु के करुंगा ताजमहल का मैं
तेरे साथ के बिना
मेरे आँगन मैं है एक बेर का पेड़
उसपर एक चिड़िया का घोसल भी है
पर तू कहा है इस आँगन मैं ये बता
ऐसा तो नहीं के जिंदगी रुक गई बिन
मैं सांस भी लेता हु और जिन्दा भी हु
तुम्हरे बिना
भवर
यु सपनो के भवर मैं जिंदगी घूमी
यु सपनो के भवर मैं जिंदगी घूमी
के ना कोई अपना रहा , न कोई सपना रहा
एक एक तिनके कर के सपने बटोरते गए तो अपने हमें छोरते गए
गर अपनों को बटोरने गए तो ये सपने हमें छोड़ते गए
इस कदर तनहइयो का अहसास बड़ गया
के सपनो मैं भी अपनों को टटोलते रहे
मैं तनहा था कभी इस कदर
इक तेरी चाह मैं खुद को भी अंधेरो मैं ढूंढते रह गए
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