Friday, 28 April 2017

रब्त

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रब्त

इस कदर रब्त है लोगो को मुझसे 
के मेरा  नाम सुनते ही तौबा करते हैं
इस कदर तुझमे दुब गया ये दिल तुझ मैं 
के लोग अब मुझमे तेरा ही अक्स  देखते है

कुछ तो मुझमे मेरा रहने देते 
मुझे देखने वाले नाम भी अब तेरा ही लेते है 


लोग कहते के मैं तो फारिग हु
पर मैं  सोचता हु के तेरी यादो ने कब छोड़ा मुझे 

मेरे तजुरबो  की मानो तो इश्क़ न करता कोई 
पर फिर भी हर शक्श इश्क़ से मुतासिर है 

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