Wednesday 26 April 2017

mannmarjee

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आओ फिर से मंनमर्जी करते है
चलो  धुप मै कही बाहर निकलते है

कुछ मिटटी की बर्तन बनाते है
कुछ फूलो को तोड़ के  लाते है
रसोई से कच्चे आम लेकर
 फिर से बाहर भागते है
अक्कड़ बक्कड़ करके सबकुछ तय करते है
आओ फिर से मंनमर्जी करते है

मै गुड़िया लाऊ तुम गुड्डा
फिर शादी उनकी करते है
फिर से दौड़ दौड़ के
आँगन की सिडिया चढ़ते  है
मिटटी पे लकीर खींचकर फिर से कुछ खेल बनाते है 

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