Friday 28 April 2017

खुदाया उसको उम्र नवाज कर

No comments :
वो जो हल्का सा था भ्रम
टूट गया
मेरे मन का था ये वहम
टूट गया


मैं तो ज़माने की कसमे खाने को तैयार थी
उसके लिए लेकिन
पर वो जो ताकता था छुप छुप कर मुझे
मुझसे रूठ गया


कहता था के दूर न पायूँगा तुमसे
एक भी दिन
आज एक एक दिन कर के
पूरा एक साल बीत गया


नरम अल्फाजो मैं  कहता था के मर जायूँगा
तुमसे दूर होकर
मैं  आज भी खौफजदा होकर दुआ पढ़ती हु
 के खुदाया उसको  उम्र नवाज कर 

No comments :

Post a Comment