Saturday 22 April 2017
तेरी ही तलाश है मुझे
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
ऐसे मैं भुला तुझे
के सब मंजिले मुझे भूल गयी
फूलो की चाह थी मुझे
और कोशिशे देकर मुझे शूल गयी
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
रब्बा मेरे गुनाहो को तू
माफ़ी अदा फरमा
ले चल मुझे एक नयी राह तू
और रास्ता नया दिखा
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
मेरा भुला तुझे ओर
हाथ तेरा मुझपर सदा रहा
तेरी रहमत का ये सिलसिला हम बन्दों पर
सदियों से यु ही चल रहा
ये रब्बा, तेरी ही तलाश है मुझे
कोई तो दे आस अब मुझे
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