Friday 28 April 2017

खुदा की इबादत

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उसकी खूबसूरती मैं कुछ खास  नहीं
उसके चेरे की रंगत भी कुछ अलग नहीं

गुलाब से जलते होठ है उसके
पर गुलाबकोई खास तो नहीं
 मीठी सी बोली है उसकी
पर रसो का स्वाद कोई नयी बात तो नहीं

कोई कह रहा था के रात से काली है जुल्फे उसकी
पर रात तो हर रात को देखते है
यु तो कहते है के उसकी आँखों से पीने का मजा और है
पर मयखाने कोई खाली तो नहीं

लोग तरसते  है उससे बात करने को को
के बातो से उसके फूल झरते है
अब इसमे क्या नयी बात है
गुलिस्तांन मैं तो रोज हजारो फूल झरते है

यु तो खास नहीं उसमे,
खुदा ही बना डाला मैंने उसे अपना
अब खुदा की  इबादत तो सभी करते है 

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