Thursday 27 April 2017

बेबसी

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बेबसी

गूंगे देश की बेबसी तो देखो
मरते किसान की बेबसी तो देखो
विकास का ढोंग करने वालो की 
बेरोजगारी पे चुप्पी तो देखो
 जलसो की धूम मचने वालो
 चौराहे की मजदूरी की बेबसी तो देखो
जगमगाते शहर मैं रोज 
आँखों मैं जलते सपनो की तड़प तो  देखो 
इन बड़ी बड़ी विदेशी कपड़ो की दुकानों के बहार 
उमीदो से भरे ठेलेवालों की मेहनत भी देखो
देखने को तो बहुत कुछ है
पर कोई इन शब्दों की गहराई तो देखो

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