Thursday 20 April 2017
मैं खुश हु
मैं खुश हु
मैंने भी सपने देखे थे सारे सपने टूट गए
पर फिर भी मैं खुश हु
हथेलियों मई मेहँदी लगी थी, कलाइयों मैं चुड़िया
मेहँदी का रंग एक ही दिन मैं छूट गया
चूड़ियों का तिनका तिनका टूट गया
पर फिर भी मै खुश हु
माँ ने सपने दिखाए थे, अपने बने पराये थे
बाबा ने बहुत लाड जताये थे, हर कदम पे फूल बिछाये थे
फूलो मैं जाने किसने कांटे छिपाये थे
पर फिर भी मई खुश हु
एक ससुराल का नाम बताया, स्वर्ग जैसा उसको बताया
पति को किसने परमेश्वर जैसा बताय था
ससुराल नहीं वो सापो का जाल था कदम कदम पे शिकारी तैयार था
कभी रुसवा किया तो कभी जलता छोड़ दिया
किसी ने कानून की किताबो मैं पैसा रखकर मेरा दर्द तोल दिया
तो किसी ने मेरे जख्मो पे मरहम के बहाने और नमक डाल दिया
बहुत आंसू बहाये बहुत दुहाई दी
पर शायद मेरी आवाज किसी को सुनाई न दी
पर चलो अच्छा हुआ
क्युकी मैं खुश हु
मैं खुश हु की मैं आजाद हु ससुराल की जेल से
मैं खुश हु की सजा छोटी ही थी मेरी
माँ , मैं खुश हु
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