Sunday 23 April 2017

दुआ

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Dua



ये प्यार भी अजीब बला है
जब तुम न थे तो तुमसे मिलाने को
दुआ मांगती थी
अब तुम हो 
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है

मैं धुप मैं  जब जब चालू
वो साये की तरह सर पे छाव रखता है
पाँव क नीचे ये जमीन नहीं होती 
अब तो वो नजरे अपनी बिछा कर रखता है 

अब तुम हो 
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है


मेरी इन दो आँखों मैं 
अब रूप तेरा ही दिखता है 
मैं जब जब भी  उदास रहू
तू बन कर  हसी मेरे लबो पे आता है

अब तुम हो 
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है

जाने समय ने  क्या ,
छुपा कर रखा है अपने दामन मैं 
पर मुझको तो अब तू ही 
जिंदगी के नाम पे इक तेरा ही चेहरा दीखता है 

अब तुम हो 
तो हर शक्श का चेहरा तुम सा लगता है

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