Monday 24 April 2017

रुसवाइयां

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रुसवाइयां


sathiyaa



तेरी महफ़िल मैं रुसवा हुए तो बहुत नाम होगा
अब  तुम ही कहो, मुझसे पहले ऐसा कौन हुआ होगा

चारो  तरफ शमा जली और सीने मैं मेरा दिल
ऐसा नजारा तो बस शयद ही किसी  ने सुना होगा 

अपनापन इस कदर के हर ताने मैं बस मेरा ही नाम था
इतना नाम तो खुदा का भी न उसने लिया होगा

मेरा हर तोहफा बेरुखी से लौटा दिया मुझको ही
मैं  खुश हु के  कितना सहेजकर हर तोहफा उसने  रखा होगा

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