Tuesday, 4 December 2018
एस कुसुम्बे दे कंडे भलेरे अड़ अड़ चुन्नड़ी पाड़ी
एस कुसुम्बे दे कंडे भलेरे अड़ अड़ चुन्नड़ी पाड़ी ।
एस कुसुम्बे दा हाकम करड़ा ज़ालम ए पटवारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
एस कुसुम्बे दे चार मुकद्दम मुआमला मंगदे भारी ।
होरनां चुगिआ फूहआ-फूहआ मैं भर लई पटारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
चुग्ग चुग्ग के मैं ढेरी कीता लत्थे आण बपारी ।
औखी घाटी मुशकल पैंडा सिर पर गट्ठड़ी भारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
अमलां वालियां सभ लंघ गईआं रह गई औगुणहारी ।
सारी उमरा खेड गवाई ओड़क बाज़ी हारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
अलस्सत केहा जद अक्खियां लाईआं हुन क्यों यार विसारी ।
इक्को घर विच वसदियां रसदियां हुन क्यों रही नयारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
मैं कमीनी कुचज्जी कोहजी बेगुन कौन विचारी ।
बुल्ल्हा शौह दे लायक नाहीं शाह इनायत तारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
एस कुसुम्बे दा हाकम करड़ा ज़ालम ए पटवारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
एस कुसुम्बे दे चार मुकद्दम मुआमला मंगदे भारी ।
होरनां चुगिआ फूहआ-फूहआ मैं भर लई पटारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
चुग्ग चुग्ग के मैं ढेरी कीता लत्थे आण बपारी ।
औखी घाटी मुशकल पैंडा सिर पर गट्ठड़ी भारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
अमलां वालियां सभ लंघ गईआं रह गई औगुणहारी ।
सारी उमरा खेड गवाई ओड़क बाज़ी हारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
अलस्सत केहा जद अक्खियां लाईआं हुन क्यों यार विसारी ।
इक्को घर विच वसदियां रसदियां हुन क्यों रही नयारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
मैं कमीनी कुचज्जी कोहजी बेगुन कौन विचारी ।
बुल्ल्हा शौह दे लायक नाहीं शाह इनायत तारी ।
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी ।
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