Tuesday, 4 December 2018

मैं पाइआ ए मैं पाइआ ए । तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

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मैं पाइआ ए मैं पाइआ ए ।
तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

कहूं तरक किताबां पढ़ते हो, कहूं भगत हिन्दू जप करते हो,
कहूं गोरकंडी विच पड़ते हो, हर घर घर लाड लडाइआ ए ।
तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

किते वैरी हो किते बेली हो, किते आप गुरू किते चेली हो,
किते मजनू हो किते लेली हो, हर घट घट बीच समाइआ ए ।
तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

कहूं गाफ़ल कहूं नमाज़ी हो, कहूं मिम्बर ते बह काज़ी हो,
कहूं तेग़ बहादुर ग़ाज़ी हो, कहूं आपना पंथ बणाइआ ए ।
तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

कहूं मसजद दा वरतारा ए कहूं बण्या ठाकुरदुआरा ए,
कहूं बैरागी जट धारा ए कहूं शैखन बण बण आया ए ।
तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

बुल्ल्हा शहु दा मैं मुहताज होया, महाराज मिले मेरा काज होया,
मुझे पिया का दरस मिअराज होया, लग्गा इश्क तां इह गुन गाइआ ए ।
मैं पाइआ ए मैं पाइआ ए ।
तैं आप सरूप वटाइआ ए ।

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