Friday, 28 December 2018

सुना है लोग बड़े दिलनवाज़ होते है 

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सुना है लोग बड़े दिलनवाज़ होते है 
मगर नसीब कहाँ कारसाज़ होते है 

सुना है पीरे-मुगां से ये बारहा मैंने 
छलक पड़े तो प्यालें भी साज़ होते है 

किसी की ज़ुल्फ़ से वाबिस्तागी नहीं अच्छी 
ये सिलसिले दिलेनादा दराज़ होते है 

वो आईने के मुकाबिल हो जब खुदा बन कर 
अदा-ओ-नाज़ सरापा नमाज़ होते है 

'अदम' ख़ुलूस के बन्दों में एक खामी है 
सितम ज़रीफ़ बड़े जल्दबाज़ होते है

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