Saturday, 1 December 2018

बूझो पंडित ब्रह्म गियानम

No comments :
   बूझो पंडित ब्रह्म गियानम 
                        गोरष बोलै जाण सुजानम । 
बीज बिन निसपती मूल बिन विरषा पान फूल बिन फलिया,
बाँझ केरा बालूड़ा प्यंगुला तरवरि चढ़िया । 
गगन बिन चन्द्र्म ब्रह्मांड बिन सूरं झूझ बिन रचिया धानम,
ए परमारथ जे नर जाणे ता घटि चरम गियानम । 
सुनि न अस्थूल ल्यंग नहीं पूजा धुनि बिन अनहद गाजै,
बाडी बिन पुहुप पुहुप बिन सामर पवन बिन भृंगा छाजै । 
राह बिनि गिलिया अगनि बिन जलिया अंबर बिन जलहर भरिया,
यहु परमारथ कहौ हो पंडित रुग जुग स्याम अथरबन पढिया । 
ससमवेद सोहं प्रकासं धरती गगन न आदं,
गंग जमुन विच षेले गोरष गुरु मछिन्द्र प्रसादं ।। 

No comments :

Post a Comment

{js=d.createElement(s);js.id=id;js.src=p+'://platform.twitter.com/widgets.js';fjs.parentNode.insertBefore(js,fjs);}}(document, 'script', 'twitter-wjs');