Saturday 16 March 2019
दिल मेरा सोज़े-निहां से बेमहाबा जल गया dil mera soz ae
दिल मेरा सोज़े-निहां से बेमहाबा जल गया
आतिशे-ख़ामोश के मानिन्द गोया जल गया
दिल में ज़ौक़े-वस्लों-यादे-यार तक बाक़ी नहीं
आग इस घर को लगी ऐसी कि जो था जल गया
मैं अ़दम से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल बारहा
मेरी आहे-आतशीं से बोले-अ़न्क़ा जल गया
अर्ज़ कीजे जौहर-ए-अन्देशा की गर्मी कहाँ
कुछ ख़याल आया था वहशत का कि सेहरा जल गया
दिल नहीं, तुझ को दिखाता वरना दाग़ों की बहार
इस चिराग़ां का करूँ क्या, कारफ़र्मा जल गया
मैं हूँ और अफ़सुर्दगी की आरज़ू "ग़ालिब" के दिल
देखकर तर्ज़े-तपाके-अहल-ए-दुनिया जल गया
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