कभी खिडक़ी पे खड़ी बाल बनाती होगी कभी सहेलियों मै बैठी मज़ाक उड़ाती होगी रंगो में अनोखा रंग चुनकर वो खुद का लिबास बनाती होगी आईने में आँखों को देखकर वो काजल लगाती होगी तो पलके भी फड़फड़ाती होंगी
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