Sunday 31 March 2019

जब ब-तक़रीब-ए-सफ़र यार ने महमिल बांधा jab ba takreeb ae safar yaar ne

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जब ब-तक़रीब-ए-सफ़र यार ने महमिल बांधा
तपिश-ए-शौक़ ने हर ज़र्रे पे इक दिल बांधा

अहल-ए-बीनिश ने ब हैरत-कदे शोख़ी-ए-नाज़
जौहर-ए-आइना को तूती-ए-बिस्मिल बांधा

यास-ओ-उम्मीद ने यक अ़रबदा-मैदां मांगा
अ़जज़-ए-हिम्मत ने तिलिसम-ए-दिल-ए-साइल बांधा

न बंधे तिशनगी-ए-शौक़ के मज़मूं ग़ालिब
गरचे दिल खोल के दरिया को भी साहिल बांधा


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